यह कहानी एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक के बारे में है, जिसने चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में बहुत से महत्वपूर्ण योगदान दिये।
एक बार एक अखबार का पत्रकार उनका साक्षात्कार ले रहा था। पत्रकार ने उनसे पूछा कि वे आम आदमी के मुकाबले इतना अधिक काम कैसे कर पाये? उनमें ऐसा क्या है जो उन्हें औरों से अलग बनाता है।
वैज्ञानिक ने जवाब दिया, “मेरे ख्याल से, इसका कारण बचपन में अपनी माताजी के साथ हुए एक अनुभव में छिपा है, जब मैं 2 साल का था। मैं फ्रिज से दूध की बोतल निकालने की कोशिश कर रहा था। अचानक बोतल मेरे हाथों से छूट गई और सारा दूध रसोई के फर्श पर बिखर गया।
जब मेरी माँ रसोई में आई तो उसने मुझे डांटने, भाषण देने या सजा देने के बजाये मुझसे कहा राबर्ट मैंने इतना दूध कभी भी फैले हुए नहीं देखा। देखो, नुक्सान तो हो चुका है। क्या इसकी सफाई करने से पहले तुम इसमें थोड़ी देर खेलना चाहोगे?
और मैंने ऐसा ही किया। थोड़ी देर बाद माँ ने मुझसे कहा राबर्ट, जब भी तुमसे ऐसी कोई गलती हो जाये तो ध्यान रखना कि तुम्हें ही सफाई करनी होगी और चीजों को पहले की तरह सम्भाल कर रखना होगा।
तो तुम सफाई कैसे करना चाहोगे? स्पोंज से, तौलिये से या पौचे से? तुम क्या लेना पसंद करोगे?
मैंने स्पोंज लिया और फिर हम दोनों ने मिलकर फैले हुए दूध को साफ किया।
इसके बाद मेरी माँ ने कहा राबर्ट, क्या तुम्हें पता है कि अभी-२ तुमने दो छोटे-२ हाथों से दूध की बोतल को उठाने का असफल अनुभव किया है? अब तुम एक काम करो। घर के पीछे यार्ड में चले जाओ और बोतल में पानी भर कर ये देखो कि तुम बोतल को बिना गिराये कैसे सम्भाल कर ले जा सकते हो। उस दिन एक छोटे से बच्चे के रूप में मैंने ये सीखा कि यदि मैं बोतल को गर्दन से पकड़ लूँ तो उसे गिराये बिना आसानी से कहीं भी ले जा सकता हूँ।
कितना शानदार सबक है?
इस प्रसिद्ध वैज्ञानिक को उस दिन बाद में यह भी पता चला कि उसे गलतियां करने से डरना नहीं चाहिये। उसने यह सीखा कि गलतियां कुछ और नहीं बल्कि कुछ नया सीखने का अवसर होती हैं।
वैज्ञानिक ने बताया, “इसी सबक की वजह से मैंने अपने सभी वैज्ञानिक प्रयोग किये हैं।”
वैज्ञानिक ने बताया, “मेरे सभी प्रयोगों की जड़ में यही सबक निहित होता है। अगर मेरा कोई प्रयोग सफल नहीं होता तो भी हम उस प्रयोग से कुछ न कुछ सीखते ही हैं।
भले ही कोइ खास मकसद से किया जाने वाला प्रयोग असफल हो जाये, तो भी वह होता तो प्रयोग ही है।
हम गलत साबित हो जायें तो भी हम गलतियां करना नहीं छोड़ते।
बस इसी बात ने हमें बहुत से अविष्कार दे दिये।
एक नया अविष्कार करने के हजारों असफल प्रयोगों ने हमें कई अविष्कार दिये।
हमने गलतियां करना नहीं छोड़ा, हर बार गलती से सीखा, फिर उसी गलती को दोहराये बिना फिर से प्रयोग किया।
यही वो बात है जिसकी वजह से हम इतना कुछ कर पाये।
गलतियां ना करना और गलतियों को दोहराये बिना फिर-फिर गलतियां करते रहना ही मेरी वो आदत है जो मुझे औरों से अलग करती है।”
ये सच्ची कहानी प्रसिद्ध वैज्ञानिक थामस एल्वा एडीसन की है, जिनके नाम 1,093 पेटैण्ट दर्ज हैं।
कहानी से मिलने वाली शिक्षा
आपने भी कभी न कभी जीवन में किसी काम में कोइ गलती की होगी। आप भी कभी किसी काम में असफल हुये होंगे।
तब आपने क्या किया था?
क्या आपने गलतियां करना, असफलता के बाद भी प्रयास करते रहना जारी रखा था, या छोड़ दिया था?
अब आप क्या करते हैं?
अगर आप जीवन में सफलता पाना चाहते हैं तो इस सबक को याद रखें।
“असफलता पाने के बाद भी प्रयास जारी रखें। गलतियां करने से ना डरें। गलतियों को दोहरायें नहीं।”
चाहे आप दुनिया का कोई भी काम करते हों अगर आप इस सबक को ध्यान में रखते हैं तो आप अपने काम में मनचाही उपलब्धि हासिल कर सकते हैं।
आप मनचाहे लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।
अन्त में गलतियों से सीखने का एक और सबक
सभी गलतियां खुद न करने बैठ जायें, दूसरों की गलतियों से भी सीखें।
अगला लेख -
गलतियों से किस तरह सीखें?
जल्द ही के. डी. परिवार के ब्लोग http://kdsakhir.blogspot.in पर प्रकाशित होगा।
लेखक - विपिन कुमार शर्मा ‘सागर’ दिनांक - 6 जून 2014
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