Friday, June 6, 2014

सफलता का त्रिकोण - काम, आराम और मनोरंजन




अधिकतर लोग केवल अधिक मेहनत करके कामयाब होने की बात को सच मानते हैं इसलिए वे अपने काम में बहुत बुरी तरह व्यस्त रहते हैं।



वे इतनी बुरी तरह व्यस्त रहते हैं कि उनके पास ना तो अपने स्वास्थ्य की देखभाल का समय होता है, ना अपने परिवार के लिए और ना ही खुद अपने लिए।

काम में बुरी तरह व्यस्त रहने वाले और बहुत अधिक मेहनत करने वाले लोग कई बार बहुत अच्छा पैसा भी बना लेते हैं, पर बहुत कुछ ऐसा गंवा भी देते हैं जो उन्हें फिर कभी वापिस नहीं मिलता।

सच्चाई यह है कि सफलता जीवन के किसी एक ही क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करने मात्र से नहीं मिलती।

किसी एक क्षेत्र में अति करने से नहीं बल्कि जीवन के त्रिकोण का संतुलन बनाने से सफलता मिलती है।

इसलिए आज के बाद अपने जीवन को संतुलित करने का प्रयास करो।

यहाँ काम से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण नियम बताये जा रहे हैं, इनमें से अधिकतर का हर सम्भव रूप से पालन करें। कुछ ही समय बाद आप अपने जीवन को संतुलित व पूर्ण महसूस करने लगेंगे।

तो ये हैं महत्वपूर्ण नियम –

• अपने कार्य क्षेत्र का चुनाव रूचि के अनुसार करें।

• केवल उसी क्षेत्र में कार्य करें जिसमें आपका मन लगता हो, जिसमें आप खुशी-खुशी काम कर सकें, जिसमें आप पैसों के लिए नहीं बल्कि खुश रहने के लिए काम कर सकें।

• अगर किसी काम से खुश न हों, तो उसे छोड़ दें।

• जब काम करें तो खुशी से काम करें।

• अगर नौकरी करते हैं तो अपने सहकर्मियों और अधीनस्थ कर्मचारियों के प्रति सम्मान का भाव रखें। कभी भी अपने वरिष्ठ अधिकारियों तथा/अथवा मालिक की पीठ पीछे आलोचना ना करें।

• अगर आप अपना व्यवसाय करते हैं तो अपने कर्मचारियों के प्रति सम्मान का भाव रखें। ध्यान रखें कि आपके कर्मचारी आपके पहले ग्राहक हैं। अगर आपके कर्मचारी आपसे खुश रहेंगे तो वे आपके बाकी ग्राहकों को भी खुश रखेंगे।

• अपने काम के अनुसार लक्ष्य निर्धारित करें। हर बार लक्ष्य पूरा होने पर सभी कर्मचारियों के साथ इसका आनंद मनायें। फिल्म देखने जायें, पिकनिक पर अथवा घूमने जायें।

• ऑफिस में समूह बना कर पढ़ना आरम्भ करें। सप्ताह में एक दिन चर्चा, विचार प्रदर्शन के लिए रखें। इस दिन पढ़े हुए पर चर्चा करें। कुछ नया सीखा हो तो उस पर चर्चा करें। कार्य के विस्तार हेतू विचार सुनें-सुनायें।



• अपने, अपने परिवार के, अपने सहयोगी कर्मचारियों के जन्म-दिन, विवाह की सालगिरह आदि कर्मचारियों व उनके परिवार के साथ मनायें।

• साल में कम से कम एक बार अपने कर्मचारियों के लिए उत्साह बढ़ाने वाला कार्यक्रम करवायें। उत्साह बढ़ाने वाले कार्यक्रमों के बारे में अधिक जानकारी हेतू http://www.kdparivar.com/KD'svipinksharma/Programs.html देखें।

• हर दिन अपना काम आरम्भ करने से पहले परमात्मा की प्रार्थना करें।

• योजना बना कर काम करें। एक दिन पहले अगले दिन के कामों की एक लिस्ट बना लें। लिस्ट के कामों को महत्वपूर्ण व आवश्यक वर्ग के अनुसार वर्गीकृत करें।

• चाहे आप हर दिन 18 घण्टे काम करें, परन्तु काम के दौरान छोटे-छोटे ब्रेक लेते रहें, ताकि आप काम करने के लिए तरोताजा बने रहें।

• गानों व फिल्मों से मनोरंजन करते हुए भी तरोताजा बने रहने की कोशिश करें।

• काम के दौरान व्यक्तिगत काम न करें। व्यक्तिगत मेल, फेसबुक आदि का उपयोग न करें।

• जब थक जायें तो आराम करें। थोड़ी देर के लिए कुर्सी की पीठ से टिककर बैठ जायें। आखों को आराम से बंद कर लें। शान्ति के साथ गहरी गहरी सांसें लें।



• जब गुस्से में हो तो 1000 कदम टहलने के लिए जायें। कभी भी गुस्से के दौरान किसी मेल अथवा फोन का जवाब न दें।

• सप्ताह (7 दिनों) में केवल 6 दिन काम करें। एक दिन छुटटी का रखें। यह दिन अपने परिवार के साथ बितायें। कम से कम कुछ घण्टे अपने परिवार को दें।

• अपनी आमदन को 70/30 के नियम के अनुसार खर्च करें। 70/30 के नियम के बारे में जानकारी हेतू पैसे की समझ पुस्तिका मंगवायें। अभी http://www.kdparivar.com/store.html पर पधारें।

• अपनी तनख्वाह का एक हिस्सा परिवार के साथ बाहर जाने के लिए जोड़ें।

• साल में कम से कम एक बार परिवार के साथ कुछ दिनों के लिए बाहर जायें। पहाड़ों पर, रेगिस्तान में, सागर किनारे, तीर्थ स्थानों पर, चिड़ियाघर, साइर्सं हाऊस, एटंरटेनमैंट पार्क आदि में या अपनी मर्जी से कहीं भी जायें; पर जायें अवश्य।



• कोशिश करके ऐसी जगह जायें, जहाँ आपको एकान्त में रहकर प्रकृति से जुड़ने का अवसर भी मिले।

• अपने बच्चों का प्रकृति से परिचय करायें।

• अपने साथ अपने लिए तथा बच्चों को कहानियां सुनाने के लिए किताबें लेकर जायें। किस्से-कहानियां सुनें-सुनायें।



अगर आप इन नियमों का ध्यान रखते हैं तो आपका काम आपके लिए मनोरंजन बन जायेगा और कभी भी आपको थकायेगा नहीं।

इन नियमों के अनुसार काम करने से आपको अपने काम में मनचाही तरक्की मिलेगी।

लेखक - विपिन कुमार शर्मा ‘सागर’ दिनांक - 6 जून 2014

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