Sunday, June 29, 2014

डा. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के नौकरीपेशाओं के लिए विचार




अपनी नौकरी से प्रेम करें, पर अपनी कम्पनी को नहीं। क्योंकि आप नहीं जानते कि आपकी कम्पनी कब आपसे प्रेम करना बंद कर देगी।

अपने कार्यस्थल को हमेशा समय पर छोड़ें।

कार्य हमेशा चलती रहने वाली एक प्रक्रिया है। ये कभी पूर्ण नहीं हो सकती।

ग्राहक का लाभ महत्वपूर्ण है, आपका परिवार भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

अगर कभी आप गिर जायें तो आपका बॅास/मैनेजर/मालिक या आपका ग्राहक आपकी मदद के लिए आगे नहीं आयेंगे; लेकिन आपका परिवार और आपके मित्र आपको जरूर सम्भालेंगे।

जीवन केवल काम, ऑफिस या ग्राहक तक ही सीमित नहीं है। जीवन में और भी बहुत कुछ है। आपको समाजवादी होने के लिए, मनोरंजन के लिए, आराम के लिए और व्यायाम के लिए समय की आवश्यकता है। जीवन को लक्ष्य रहित न जीयें।

एक व्यक्ति जो अपने ऑफिस में देर तक काम करता है वह मेहनती कर्मचारी नहीं है। इसके बजाये वह मूर्ख है जो यह नहीं जानता कि काम को निर्धारित समय में कैसे पूरा किया जाये। वह अपने कार्य में अयोग्य एवम् अप्रभावशाली है।

आप जीवन में पढ़ाई-लिखाई या मेहनत मशीन बनने के लिए नहीं करते।

अगर आपका बॅास/मैनेजर/मालिक आपको देर तक काम करने के लिए कहता है तो वह अयोग्य और अप्रभावशाली है और वह लक्ष्य विहीन जीवन बिता रहा है। यह लेख उस तक पहुँचायें।

Friday, June 27, 2014

समस्यायें और सफलता


प्रिय मित्रों, हम सभी जीवन में कभी ना कभी किसी न किसी समस्या के कारण बहुत अधिक परेशान हो जाते हैं। कहा जाता है कि इस दुनिया का हर व्यक्ति या तो अभी अभी किसी समस्या से बाहर निकला है या फिर वो किसी समस्या में उलझने जा रहा है।



और यह भी सच है कि समस्यायें और संघर्ष ही एक व्यक्ति को सफल बनाते हैं। कहते हैं कि हर समस्या के पीछे सुख, समृद्धि और सफलता का अवसर छिपा होता है।

किन्तु समस्याओं के कारण होने वाली परेशानियां व्यक्ति को इतना अधिक व्यथित कर देती हैं कि वह व्यक्ति समस्याओं के पीछे छिपे अवसरों को देख ही नहीं पाता।

यदि आप इस समय किसी समस्या के कारण परेशान हैं और अपनी परेशानी का हल तलाश नहीं कर पा रहे तो अभी के. डी. परिवार से सम्पर्क करें।

के. डी. परिवार आपकी परेशानी को हल करने के व्यवहारिक सुझाव प्रदान करेगा, वह भी निःशुल्क। अगर के. डी. परिवार के सुझावों से आप अपनी समस्या का हल पा लेते हैं तो यही हमारे लिए सबसे बड़ा शुल्क होगा।

इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी हेतू अभी http://www.kdparivar.com/problem & solutions.html पर पधारें। अपनी समस्या का समाधान पाने के लिए इस पेज से समस्या के अनुसार फॉर्म डाऊनलोड करें और फॉर्म भर कर kdparivar@gmail.com पर भेज दें।

निश्चिंत रहिये, आपकी समस्या को गुप्त ही रखा जायेगा। आपकी सहमति के बिना आपका नाम आदि किसी के सामने भी प्रगट नहीं किया जायेगा।

अगर आप इस समय किसी समस्या के कारण परेशान नहीं हैं और अगर यह लेख आपके काम का नहीं है, तो इस लेख के बारे में अपने किसी मित्र, सम्बन्धी या जानकार को बतायें, या इसे फेसबुक आदि सोशल नैटवर्क पर शेअर करें। शायद यह किसी और के काम आ जाये।

आशा है कि आप निश्चित ही के. डी. परिवार की सेवाओं से लाभ उठायेंगे।

लेखिका - के. डी.’स अनू शर्मा

दिनांक - 26 जून 2014

Thursday, June 26, 2014

परमात्मा और सफलताः धर्म-कर्म वाले लोग होते ज्यादा सफल


पूजा-पाठ आदि धर्म-कर्म करना पाखण्ड नहीं, बल्कि यह सफलता हेतू भी सहायक है।



कथा-कीर्तन-प्रवचन आदि में जाने से आपका समय नष्ट नहीं होता बल्कि इससे सफलता के लिए अति आवश्यक गुणों में वृद्धि होती है, जैसे काम में अधिक मन लगना, उत्पादन क्षमता बढ़ना, लोगों की नजरों में अच्छी छवि बनना और लोगों से अच्छे सम्बन्ध बनना आदि।

अगर आपमें सफलता के लिए आवश्यक गुणों की वृद्धि हो गई तो आपके लिए सफलता पाना अपने आप ही आसान हो जायेगा।

के. डी. परिवार पिछले काफी समय से इस बात का अनुमोदन और समर्थन करता आ रहा है कि सफलता केवल मानव के प्रयासों से नहीं मिलती। सफलता के लिए मानव के प्रयास और परमात्मा के प्रसाद - दोनों - की आवश्यकता होती है।

के. डी. परिवार द्वारा प्रस्तुत भारत के पहले सकारात्मक मासिक निःशुल्क हिन्दी न्यूज लैटर आखिर’ के विगत अंकों में हमने परमात्मा और सफलता नाम से लेखों की एक श्रृंखला का प्रकाशन किया था। आप आखिर’ के नीचे दिये पुराने अंक निःशुल्क डाउनलोड करके ये लेख पढ़ सकते हैं -

4. Akhir' - Jan09.4

5. Akhir' - Feb09.5



6. Akhir' - March09.6

7. Akhir' - April09.7

9. Akhir' - June09.9

10. Akhir' - July09.10

11. Akhir' - August09.11

12. Akhir' - September09.12

13. Akhir' - October09.13

14. Akhir' - November09.14

15. Akhir' - December09.15

16. Akhir' - January10.16

निःशुल्क आखिर’ डाउनलोड करने के लिए अभी http://www.kdparivar.com/Akhir’.html पर पधारें।

उपरोक्त इस लिस्ट में केवल आखिर’ के केवल उन्हीं अंकों को दिया गया है जिनमें परमात्मा और सफलता श्रृंखला के लेख छपे थे। आप चाहें तो आखिर’ के बाकी अंक भी डाउनलोड कर सकते हैं।

और हां, सबसे जरूरी बात, इस बारे में अपने मित्रों-सम्बन्धियों को बताना ना भूलें। ध्यान रखें ज्ञान तभी लाभ देता है जब इसे बांटा जाये।

इस लेख का लिंक अपने जानकारों को अवश्य भेजें। फेसबुक आदि सोशल नैटवर्क पर इसे अधिक से अधिक लोगों के साथ शेअर करें।

अपने विचारों और अनुभवों से अवगत करायें।

धन्यवाद सहित

सफलता की राह पर आपका मित्र

के. डी.’स विपिन कुमार शर्मा ‘सागर’

दिनांक - 26 जून 2014

Tuesday, June 24, 2014

समस्याएं और समाधान


पाएं अपनी समस्याओं का समाधान http://kdparivar.com/problem%20&%20solutions.html



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भारत में शिक्षा के हालात




मित्रों, जैसा कि आप सब को भी अनुभव होगा कि हमारे देश में अंग्रेजी राज के बाद से हमें ऐसी शिक्षा नहीं मिल रही जो हमारे जीवन को सुखी, समृद्ध व सफल बना सके. अब विशेषज्ञों का भी यही मानना है. दैनिक भास्कर में प्रकाशित इस विशेष लेख को पढ़ें और अपने विचार व अनुभव साँझा करें.

नोट - समाधान - जीवन में सच्ची सफलता पाने के लिए के. डी. परिवार से जीवन की असली शिक्षा हासिल करें. अभी के. डी. परिवार की साइट पर पधारें.

Monday, June 23, 2014

प्रेरणादायक लेख - गलतियों से किस तरह सीखें?


सम्पादिका की टिप्पणी - कुछ समय पहले हमने आखिर’ में एक कहानी प्रकाशित की थी - गलतियों से सीखना। इसे काफी लोगों ने पसंद किया। इस कहानी में हमने आपसे वादा किया था कि जल्द ही एक लेख प्रकाशित करेंगे कि गलतियों से किस तरह सीखा जाये। सो अपने वादे को पूरा करते हुए हम यह लेख प्रकाशित कर रहे हैं। कृपया अपने विचारों-सुझावों से अवश्य अवगत करवायें।



हम सभी से जीवन में कभी न कभी कोई न कोई गलती होती रहती है। चाहे यह गलती छोटी हो या बड़ी पर हर दिन हम कुछ न कुछ गलत तो करते ही हैं।

कोई भी गलतियां करना पसंद नहीं करता। लेकिन एक पुरानी कहावत है कि इसांन गलतियों का पुतला होता है।

भले ही आप कोई गलती खुद ना करना चाहें, लेकिन फिर भी आप से हर दिन कोई न कोई गलती अवश्य होती है। कुछ गलतियां छोटी हो सकती हैं और कुछ बहुत बड़ी और गम्भीर गलतियां हो सकती हैं। लेकिन होती अवश्य हैं।

हालांकि आप गलतियों से बच तो नहीं सकते, लेकिन आप उनसे सबक हासिल कर सकते हैं और उन्हें कम अवश्य कर सकते हैं। अगर आप गलतियों से सही तरह से सबक हासिल कर लें, तो गलतियां आपको सही दिशा में ले जा सकती हैं।

गलतियां स्व-विकास का एक अनिवार्य अगं हैं। इसलिए गलती होने पर शर्मिंदा या दुःखी मत होईये, बल्कि यह देखिये कि आप उस गलती से क्या और कैसे सीख ले सकते हैं और किस तरह बेहतरीन व्यक्ति बन सकते हैं।

यहां कुछ सुझाव दिये गये हैं जो गलतियों से सीखने में आपकी बहुत अधिक मदद करेंगे –

1. गलती के लिए स्वयं को दण्ड ना दें :

बहुत से लोग कोई गलती हो जाने पर अपराधबोध से ग्रस्त हो जाते हैं और फिर हीन-भावना के शिकार हो कर जीवन विकास से दूर हो जाते हैं। अपराधबोध की भावना और हीन-भावना एक व्यक्ति के जीवन के विकास का मार्ग अवरूद्ध कर देती हैं।

कोई लोग गलती होने पर अपना मार्ग ही बदल लेते हैं या रूक जाते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि कोई व्यक्ति अपने व्यवसाय में कोई गलती कर बैठता है तो वह व्यवसाय को ही छोड़ने का निर्णय कर लेता है। कभी भी स्वयं को इस तरह का दण्ड ना दें।

यह ठीक है कि गलतियां खतरे से भरी होती हैं, पर ध्यान रखिये कि जितना अधिक खतरा होता है उतना ही अधिक लाभ का अवसर भी होता है। गलती होने पर लाभ के अवसर देखें।

क्या आपको याद है जब आपने साईकिल चलाना सीखना शुरू किया था तो क्या हुआ था? क्या आप बिना गलती किये साईकिल चलाना सीख गये थे? नहीं। आपने गिरने का खतरा उठाते हुए साईकिल चलाना सीखना जारी रखा। अगर आप गिरे तो आपने उससे सबक हासिल किया। इसका परिणाम क्या हुआ - आप साईकिल चलाना सीख गये। इस उदाहरण को व्यवसाय और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में याद रखें और गलतियों को विकास और सफलता का माध्यम बनायें।

2. गलती को स्वीकार करें और गलती के लिए विनम्रता से क्षमा मांगें :

अगर आपकी गलती से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर किसी को दुःख अथवा नुक्सान पहुंचा है तो क्षमा मांगना बहुत महत्वपूर्ण है। आपको यह स्पष्ट करना चाहिये कि जो भी हुआ वह एक हादसा था और आप इस बात का ध्यान रखेंगे कि यह दोबारा नहीं होगा।

अगर आप क्षमा मांगने से डरेंगे, शर्मिंदा नहीं होंगे या दिल से क्षमा नहीं मांगेंगे तो जिसके प्रति आपसे गलती हुई होगी वह इसे हमेशा अपने दिल में रखेगा और आपके खिलाफ रहेगा। क्षमा न मांगने की वजह से आपकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुँच सकती है।

अगर आप दिल से क्षमा मांगते हैं तो लोग आपको क्षमा करना पसंद करेंगे। पर ध्यान रखें कि बार-बार क्षमा प्रार्थना न करें। गम्भीरता के साथ एक ही बार क्षमा मांगना पर्याप्त है। सही ढंग से क्षमा मांगने से लोगों का आपके प्रति विश्वास पुनः दृढ़ हो जायेगा।

3. पूर्णतावादी न बनें :

किसी भी व्यक्ति के लिए पूरी तरह पूर्णतावादी बनना सम्भव नहीं है। अगर आप गलतियां करने से डरते हुए अपना जीवन बितायेंगे तो आप जीवन में थोड़ा-बहुत ही हासिल कर पायेंगे और वो भी बहुत मुश्किल से।

ध्यान रखें कि गलतियां की नहीं जातीं, बल्कि हो जाती हैं। अगर आप यह सोचते हैं कि आप गलतियों से दूर रहेंगे तो आप अपने आप को बहुत सीमित कर लेंगे।

4. गलतियों को सही सिद्ध करने में समय नष्ट ना करें :

हमारी यह आदत होती है कि हम अपने कार्यों को सही सिद्ध करना चाहते हैं। अधिकतर हम अपनी गलतियों के लिए दूसरों को दोष देते हैं। कभी-२ कोई गलती होने पर हम यह भी कहते हैं कि ये तो होना ही था, मैं इसे रोक ही नहीं सकता था। उदाहरण के लिए जब हमें नौकरी से निकाल दिया जाता है तो हम कहते हैं - “ना तो ये नौकरी ठीक थी और ना ही मेरा बास।” जबकि हम आसानी से उन छुटि्टयों को भूल जाते हैं जो हमने बिना बताये ली थीं।

यह कुछ और नहीं बल्कि हमारा अहम है, जिसे पुष्ट करने के लिए हम अपनी गलतियों को सही सिद्ध करने की कोशिश करते हैं। ध्यान रखिये दूसरों को हमारे स्पष्टीकरण में कोई रूचि नहीं है। अपनी गलती स्वीकार करने और माफी मांगने में कोइ बुराई नहीं है।

5. यह समझिये कि गलती क्यों हुई और गलती को दोहरायें नहीं :

एक व्यक्ति बहुत से कारणों के चलते गलती कर सकता है। गलती का दोहराव रोकने के लिए आपको कारणों को समझना चाहिये।

कारण को समझने के लिए अपने आप से अधिक से अधिक प्रश्न पूछें।

हो सकता है कि आप तनाव, अनिद्रा अथवा कम नींद, या फिर अपनी कुछ बुरी आदतों के कारण बार-बार गलतियां करते हों। अगर ऐसा है तो शीघ्र अति शीघ्र अपने डाक्टर से मिलें।

इस बात का खास ध्यान रखें कि अपनी गलतियों का विवेचन करते हुए आप अपराधबोध से ग्रस्त न हो जायें। बल्कि, विवेचन करते हुए आप गलतियों से सबक हासिल करें। सावधानीपूर्वक किये गये विवेचन के सतत प्रयासों से आप बहुत सी गलतियां करने से बच सकते हैं।

6. गलतियां सीखने का अवसर देती हैं, इस अवसर को जाने न दें :

असफलता की तरह आप गलतियों से भी बहुत से सबक हासिल कर सकते हैं। गलतियों के कारण आये अवसरों को व्यर्थ न जाने दें।

आप अपनी गलतियों से अपना ज्ञान-वर्द्धन कर सकते हैं और स्व-विकास की दर को बढ़ा सकते हैं। मुख्य बात यह है कि गलतियों को विकास का माध्यम समझें।

लेखक - विपिन कुमार शर्मा ‘सागर’, दिनांक - 23 जून 2014

Sunday, June 8, 2014

नैतिक शिक्षा का पतन - अतिथि लेखक - मास्टर राम एकबाल भगत




शिक्षा के क्षेत्र में भारत जहाँ लगातार पिछड़ता जा रहा है, वहीं गुरू-शिष्य का रिश्ता भी अपनी पवित्रता खोता जा रहा है।

आये दिन स्कूलों-विद्यालयों में ऐसी घटनायें घटती दिखाई दे रही हैं जो इस सत्य का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। उदाहरण के तौर पर गत दिवस जालन्धर में जहाँ एक निजी स्कूल के छात्र ने परीक्षा अच्छी करवाने के लिए प्रिंसीपल पर पिस्तौल तान दी और उन्हें धमकाया, वहीं अमृतसर में +2 की परीक्षा के दौरान कुछ छात्रों ने डिप्टी सुपरीटेंडेंट पर हमला कर दिया। यह घटनायें देश और समाज के भविष्य को लेकर निश्चित रूप से डराने वाली हैं।

इस प्रकार की घटनाओं से यह स्पष्ट है कि वर्तमान शिक्षा में कहीं कुछ बड़ी गड़बड़ी है, जो छात्रों में नैतिक पतन के लिए जिम्मेदार है।

इसके लिए मात्र स्कूली शिक्षा प्रणाली को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, बल्कि इसमें माता-पिता की परवरिश भी अहम कारण है। क्योंकि बच्चे की प्रारम्भिक शिक्षा उसके घर से ही आरम्भ होती है।

विद्यार्थियों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ नैतिक शिक्षा प्रदान करना जहाँ स्कूलों की जिम्मेदारी है, वहीं अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देना माता-पिता का भी परम कर्तव्य है। यही वह बुनियाद होती है जिस पर बच्चे का, समाज का और देश का भविष्य निर्भर करता है।

सर्वाधिक चिन्ता की बात यही है कि अब यह बुनियाद उतनी मजबूत नहीं दिख रही है।

अभी भी अधिक विलम्ब नहीं हुआ है और यह सभी की जिम्मेदारी है कि इसके पीछे के कारणों की तलाश की जाये और उसे सुधारने के लिए तत्काल कारगर उपक्रम भी किये जायें।

एक विद्यार्थी ही आने वाले कल का भविष्य होता है। उसका आने वाला भविष्य, उसकी सफलता, समाज व देश की उन्नति में उसका योगदान विद्यार्थी की स्कूली शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा पर भी निर्भर करता है।

यदि हम चाहते हैं कि बच्चे बड़े हो कर जिम्मेदार नागरिक बनें और समाज व देश के विकास में अपना योगदान दें तो हमें बुनियादी शिक्षा में आमूल-चूल सुधार करना होगा।

सभी को यह समझना होगा कि मात्र स्कूल बैग का वजन बढ़ाने और किताबी ज्ञान देने से बच्चों का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता अपितु बच्चों का मनोभाव समझते हुए उन्हें व्यवहारिक व नैतिक शिक्षा देना भी अति आवश्यक है। यह मात्र स्कूलों को ही नहीं अभिभावकों की भी जिम्मेदारी है।

लेखक - मास्टर राम एकबाल भगत, अध्यापक एवम् व्यवसायी

Friday, June 6, 2014

सफलता का त्रिकोण - काम, आराम और मनोरंजन




अधिकतर लोग केवल अधिक मेहनत करके कामयाब होने की बात को सच मानते हैं इसलिए वे अपने काम में बहुत बुरी तरह व्यस्त रहते हैं।



वे इतनी बुरी तरह व्यस्त रहते हैं कि उनके पास ना तो अपने स्वास्थ्य की देखभाल का समय होता है, ना अपने परिवार के लिए और ना ही खुद अपने लिए।

काम में बुरी तरह व्यस्त रहने वाले और बहुत अधिक मेहनत करने वाले लोग कई बार बहुत अच्छा पैसा भी बना लेते हैं, पर बहुत कुछ ऐसा गंवा भी देते हैं जो उन्हें फिर कभी वापिस नहीं मिलता।

सच्चाई यह है कि सफलता जीवन के किसी एक ही क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करने मात्र से नहीं मिलती।

किसी एक क्षेत्र में अति करने से नहीं बल्कि जीवन के त्रिकोण का संतुलन बनाने से सफलता मिलती है।

इसलिए आज के बाद अपने जीवन को संतुलित करने का प्रयास करो।

यहाँ काम से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण नियम बताये जा रहे हैं, इनमें से अधिकतर का हर सम्भव रूप से पालन करें। कुछ ही समय बाद आप अपने जीवन को संतुलित व पूर्ण महसूस करने लगेंगे।

तो ये हैं महत्वपूर्ण नियम –

• अपने कार्य क्षेत्र का चुनाव रूचि के अनुसार करें।

• केवल उसी क्षेत्र में कार्य करें जिसमें आपका मन लगता हो, जिसमें आप खुशी-खुशी काम कर सकें, जिसमें आप पैसों के लिए नहीं बल्कि खुश रहने के लिए काम कर सकें।

• अगर किसी काम से खुश न हों, तो उसे छोड़ दें।

• जब काम करें तो खुशी से काम करें।

• अगर नौकरी करते हैं तो अपने सहकर्मियों और अधीनस्थ कर्मचारियों के प्रति सम्मान का भाव रखें। कभी भी अपने वरिष्ठ अधिकारियों तथा/अथवा मालिक की पीठ पीछे आलोचना ना करें।

• अगर आप अपना व्यवसाय करते हैं तो अपने कर्मचारियों के प्रति सम्मान का भाव रखें। ध्यान रखें कि आपके कर्मचारी आपके पहले ग्राहक हैं। अगर आपके कर्मचारी आपसे खुश रहेंगे तो वे आपके बाकी ग्राहकों को भी खुश रखेंगे।

• अपने काम के अनुसार लक्ष्य निर्धारित करें। हर बार लक्ष्य पूरा होने पर सभी कर्मचारियों के साथ इसका आनंद मनायें। फिल्म देखने जायें, पिकनिक पर अथवा घूमने जायें।

• ऑफिस में समूह बना कर पढ़ना आरम्भ करें। सप्ताह में एक दिन चर्चा, विचार प्रदर्शन के लिए रखें। इस दिन पढ़े हुए पर चर्चा करें। कुछ नया सीखा हो तो उस पर चर्चा करें। कार्य के विस्तार हेतू विचार सुनें-सुनायें।



• अपने, अपने परिवार के, अपने सहयोगी कर्मचारियों के जन्म-दिन, विवाह की सालगिरह आदि कर्मचारियों व उनके परिवार के साथ मनायें।

• साल में कम से कम एक बार अपने कर्मचारियों के लिए उत्साह बढ़ाने वाला कार्यक्रम करवायें। उत्साह बढ़ाने वाले कार्यक्रमों के बारे में अधिक जानकारी हेतू http://www.kdparivar.com/KD'svipinksharma/Programs.html देखें।

• हर दिन अपना काम आरम्भ करने से पहले परमात्मा की प्रार्थना करें।

• योजना बना कर काम करें। एक दिन पहले अगले दिन के कामों की एक लिस्ट बना लें। लिस्ट के कामों को महत्वपूर्ण व आवश्यक वर्ग के अनुसार वर्गीकृत करें।

• चाहे आप हर दिन 18 घण्टे काम करें, परन्तु काम के दौरान छोटे-छोटे ब्रेक लेते रहें, ताकि आप काम करने के लिए तरोताजा बने रहें।

• गानों व फिल्मों से मनोरंजन करते हुए भी तरोताजा बने रहने की कोशिश करें।

• काम के दौरान व्यक्तिगत काम न करें। व्यक्तिगत मेल, फेसबुक आदि का उपयोग न करें।

• जब थक जायें तो आराम करें। थोड़ी देर के लिए कुर्सी की पीठ से टिककर बैठ जायें। आखों को आराम से बंद कर लें। शान्ति के साथ गहरी गहरी सांसें लें।



• जब गुस्से में हो तो 1000 कदम टहलने के लिए जायें। कभी भी गुस्से के दौरान किसी मेल अथवा फोन का जवाब न दें।

• सप्ताह (7 दिनों) में केवल 6 दिन काम करें। एक दिन छुटटी का रखें। यह दिन अपने परिवार के साथ बितायें। कम से कम कुछ घण्टे अपने परिवार को दें।

• अपनी आमदन को 70/30 के नियम के अनुसार खर्च करें। 70/30 के नियम के बारे में जानकारी हेतू पैसे की समझ पुस्तिका मंगवायें। अभी http://www.kdparivar.com/store.html पर पधारें।

• अपनी तनख्वाह का एक हिस्सा परिवार के साथ बाहर जाने के लिए जोड़ें।

• साल में कम से कम एक बार परिवार के साथ कुछ दिनों के लिए बाहर जायें। पहाड़ों पर, रेगिस्तान में, सागर किनारे, तीर्थ स्थानों पर, चिड़ियाघर, साइर्सं हाऊस, एटंरटेनमैंट पार्क आदि में या अपनी मर्जी से कहीं भी जायें; पर जायें अवश्य।



• कोशिश करके ऐसी जगह जायें, जहाँ आपको एकान्त में रहकर प्रकृति से जुड़ने का अवसर भी मिले।

• अपने बच्चों का प्रकृति से परिचय करायें।

• अपने साथ अपने लिए तथा बच्चों को कहानियां सुनाने के लिए किताबें लेकर जायें। किस्से-कहानियां सुनें-सुनायें।



अगर आप इन नियमों का ध्यान रखते हैं तो आपका काम आपके लिए मनोरंजन बन जायेगा और कभी भी आपको थकायेगा नहीं।

इन नियमों के अनुसार काम करने से आपको अपने काम में मनचाही तरक्की मिलेगी।

लेखक - विपिन कुमार शर्मा ‘सागर’ दिनांक - 6 जून 2014

प्रेरणादायक कहानी - गलतियों से सीखना




यह कहानी एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक के बारे में है, जिसने चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में बहुत से महत्वपूर्ण योगदान दिये।

एक बार एक अखबार का पत्रकार उनका साक्षात्कार ले रहा था। पत्रकार ने उनसे पूछा कि वे आम आदमी के मुकाबले इतना अधिक काम कैसे कर पाये? उनमें ऐसा क्या है जो उन्हें औरों से अलग बनाता है।

वैज्ञानिक ने जवाब दिया, “मेरे ख्याल से, इसका कारण बचपन में अपनी माताजी के साथ हुए एक अनुभव में छिपा है, जब मैं 2 साल का था। मैं फ्रिज से दूध की बोतल निकालने की कोशिश कर रहा था। अचानक बोतल मेरे हाथों से छूट गई और सारा दूध रसोई के फर्श पर बिखर गया।

जब मेरी माँ रसोई में आई तो उसने मुझे डांटने, भाषण देने या सजा देने के बजाये मुझसे कहा राबर्ट मैंने इतना दूध कभी भी फैले हुए नहीं देखा। देखो, नुक्सान तो हो चुका है। क्या इसकी सफाई करने से पहले तुम इसमें थोड़ी देर खेलना चाहोगे?

और मैंने ऐसा ही किया। थोड़ी देर बाद माँ ने मुझसे कहा राबर्ट, जब भी तुमसे ऐसी कोई गलती हो जाये तो ध्यान रखना कि तुम्हें ही सफाई करनी होगी और चीजों को पहले की तरह सम्भाल कर रखना होगा।

तो तुम सफाई कैसे करना चाहोगे? स्पोंज से, तौलिये से या पौचे से? तुम क्या लेना पसंद करोगे?

मैंने स्पोंज लिया और फिर हम दोनों ने मिलकर फैले हुए दूध को साफ किया।

इसके बाद मेरी माँ ने कहा राबर्ट, क्या तुम्हें पता है कि अभी-२ तुमने दो छोटे-२ हाथों से दूध की बोतल को उठाने का असफल अनुभव किया है? अब तुम एक काम करो। घर के पीछे यार्ड में चले जाओ और बोतल में पानी भर कर ये देखो कि तुम बोतल को बिना गिराये कैसे सम्भाल कर ले जा सकते हो। उस दिन एक छोटे से बच्चे के रूप में मैंने ये सीखा कि यदि मैं बोतल को गर्दन से पकड़ लूँ तो उसे गिराये बिना आसानी से कहीं भी ले जा सकता हूँ।

कितना शानदार सबक है?

इस प्रसिद्ध वैज्ञानिक को उस दिन बाद में यह भी पता चला कि उसे गलतियां करने से डरना नहीं चाहिये। उसने यह सीखा कि गलतियां कुछ और नहीं बल्कि कुछ नया सीखने का अवसर होती हैं।

वैज्ञानिक ने बताया, “इसी सबक की वजह से मैंने अपने सभी वैज्ञानिक प्रयोग किये हैं।”

वैज्ञानिक ने बताया, “मेरे सभी प्रयोगों की जड़ में यही सबक निहित होता है। अगर मेरा कोई प्रयोग सफल नहीं होता तो भी हम उस प्रयोग से कुछ न कुछ सीखते ही हैं।

भले ही कोइ खास मकसद से किया जाने वाला प्रयोग असफल हो जाये, तो भी वह होता तो प्रयोग ही है।

हम गलत साबित हो जायें तो भी हम गलतियां करना नहीं छोड़ते।

बस इसी बात ने हमें बहुत से अविष्कार दे दिये।

एक नया अविष्कार करने के हजारों असफल प्रयोगों ने हमें कई अविष्कार दिये।

हमने गलतियां करना नहीं छोड़ा, हर बार गलती से सीखा, फिर उसी गलती को दोहराये बिना फिर से प्रयोग किया।

यही वो बात है जिसकी वजह से हम इतना कुछ कर पाये।

गलतियां ना करना और गलतियों को दोहराये बिना फिर-फिर गलतियां करते रहना ही मेरी वो आदत है जो मुझे औरों से अलग करती है।”

ये सच्ची कहानी प्रसिद्ध वैज्ञानिक थामस एल्वा एडीसन की है, जिनके नाम 1,093 पेटैण्ट दर्ज हैं।



कहानी से मिलने वाली शिक्षा

आपने भी कभी न कभी जीवन में किसी काम में कोइ गलती की होगी। आप भी कभी किसी काम में असफल हुये होंगे।

तब आपने क्या किया था?

क्या आपने गलतियां करना, असफलता के बाद भी प्रयास करते रहना जारी रखा था, या छोड़ दिया था?

अब आप क्या करते हैं?

अगर आप जीवन में सफलता पाना चाहते हैं तो इस सबक को याद रखें।

“असफलता पाने के बाद भी प्रयास जारी रखें। गलतियां करने से ना डरें। गलतियों को दोहरायें नहीं।”

चाहे आप दुनिया का कोई भी काम करते हों अगर आप इस सबक को ध्यान में रखते हैं तो आप अपने काम में मनचाही उपलब्धि हासिल कर सकते हैं।

आप मनचाहे लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।



अन्त में गलतियों से सीखने का एक और सबक

सभी गलतियां खुद न करने बैठ जायें, दूसरों की गलतियों से भी सीखें।



अगला लेख -

गलतियों से किस तरह सीखें?

जल्द ही के. डी. परिवार के ब्लोग http://kdsakhir.blogspot.in पर प्रकाशित होगा।

लेखक - विपिन कुमार शर्मा ‘सागर’ दिनांक - 6 जून 2014

Thursday, June 5, 2014

प्रेरणादायक कहानी - अवसर को हाथ से जाने ना दें






एक जवान लड़का अपनी प्रेमिका से शादी करना चाहता था। इसके लिए वह प्रेमिका के पिता से इजाजत लेने गया।

प्रेमिका के पिता ने लड़के को बड़े ही गौर से देखा और कहा, “सुनो बेटा। अगर तुम मेरी लड़की से शादी करना चाहते हो तो तुम्हें एक परीक्षा देनी होगी।

तुम मैदान के बीच में खड़े हो जाओ। मैं तुम्हारे ऊपर एक-एक करके तीन बैल छोड़ूँगा। अगर तुमने किसी भी एक बैल की पूँछ पकड़ ली तो मैं अपनी बेटी की शादी तुम्हारे साथ कर दूँगा।”

लड़का इसके लिए तैयार हो गया।

वह मैदान में जाकर खड़ा हो गया और पहले बैल का इंतजार करने लगा।

बाड़े का दरवाजा खुला और एक बहुत बड़ा बैल उससे बाहर का निकला। लड़के ने कभी इतना बड़ा बैल नहीं देखा था। उसने सोचा कि इस बैल की पूँछ पकड़ने से अच्छा है कि दूसरे बैल का इंतजार किया जाये। इसलिए वह एक किनारे हो गया और बैल को दूसरे दरवाजे से बाड़े के अदंर जाने दिया।

फिर बाड़े का दरवाजा दोबारा खुला। इस बार पहले से भी अधिक बड़ा और खतरनाक बैल दिखाई दिया।

ये बैल जोर जोर से रम्भा रहा था। अपने सींगों और खुरों से जमीन को रौंद रहा था। लड़के ने सोचा कि इस बैल को पकड़ने का खतरा उठाने के बजाये क्यों ना तीसरे बैल का इंतजार किया जाये।

इसलिए वह फिर से एक किनारे हो गया और बैल का निकल जाने दिया।

तीसरी बार बाड़े का दरवाजा खुला। इस बार बैल को देखकर लड़का मुस्कुराया। इस बार वाला बैल कमजोर और छोटे कद का था। वह इस बैल की पूँछ को आसानी से पकड़ सकता था। जैसे ही बैल बाहर की ओर दौड़ा लड़का तैयार हो गया और मौका पाते ही बैल की पूँछ पकड़ने के लिए लड़के ने छलांग लगाई।

लेकिन ये क्या ?

इस बैल की तो पूँछ ही नहीं थी।

कहानी से मिलने वाला सबक

जीवन अवसरों से भरा हुआ है। कुछ लोग आसानी से अवसर का लाभ उठा लेते हैं, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह मुश्किल होता है। कुछ लोगों का हर अवसर आसान लगता है तो कुछ लोग हर अवसर में मुश्किल देख लेते हैं।

जिन्हें अवसर में मुश्किल नजर आती है वे अवसर का लाभ उठाने के बजाये मैदान छोड़ जाते हैं। लेकिन एक बार अगर अवसर चला जाये तो यह दोबारा नहीं मिलता।

इसलिए पहला अवसर सामने आते ही उसका लाभ उठा लेना चाहिये।