हिमांशु पुष्करणा को धन्यवाद सहित
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वो एक खेल का मैदान था।
8 लड़के दौड़ने के लिए ट्रैक पर एकदम तैयार खड़े थे।
आवाज़ गूंजी - "रेडी! स्टेडी! गो।"
पिस्टल की आवाज़ के साथ ही सब लडकों ने दौड़ना शुरू कर दिया।
अभी वो सब 10 से 15 कदम ही दौड़ पाए थे कि उनमें से 1 लड़का फिसला और गिर गया।
दर्द के कारण वो रोने लगा।
जब दूसरे 7 लडकों ने उसकी आवाज़ सुनी तो वे दौड़ते दौड़ते "रुक गये"।
एक क्षण के लिए वो रुके, इसके बाद वे मुड़े और उस गिर गए लड़के की ओर दौड़ पड़े।
उन सभी सातों लड़कों ने मिलकर उसे उठा लिया और उसे उठाये उठाये ही वो सब दौड़ की अंतिम रेखा तक पहुँचे।
लोग सन्न हो गये।
बहुत सी आँखों में आंसू थे।
ये घटना 2 वर्ष पहले पूना में घटी थी।
नैशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ़ मेंटल हैल्थ की ओर से इस दौड़ का आयोजन किया गया था।
सभी प्रतिभागी मानसिक तौर पर कमजोर थे।
उन्होंने क्या सिखाया?
टीमवर्क,
इंसानियत,
खेल की भावना,
प्रेम,
ध्यान,
और
समानता।
हम लोग निश्चित तौर पर ऐसा कभी नहीं कर सकते,
क्योंकि ........
हम दिमाग रखते हैं .......
हममें अहम् है ........
हममें दिखावा है .......
के डी परिवार की ओर से निवेदन - यदि इस घटना ने आपके दिल को छुआ हो, आपको जरा भी प्रभावित किया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ जरुर शेअर करें।
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