Thursday, October 2, 2014

काश मैं आजाद होता : देश-प्रेम की भावना से ओत-प्रोत एक भावुक कविता


लेखक कवि के बारे में -
इस कविता के लेखक श्री उमेश कुमार शर्मा हैं, जो अपनी रचनाओं में अपने नाम के साथ “रूप” लिखते हैं। उमेश जी गाजियाबाद में रहते हैं और नौकरी करते हैं।


उमेश जी में लेखन के साथ-2 गायन और तबला वादन का भी हुनर है।
उमेश जी की कविताओं में लोगों की भावनायें दिखती हैं। इनकी कविता पढ़-सुन कर ऐसा लगता है मानो कोई हमारे ही दिल की बात कह रहा हो।
ऐसी ही है उमेश जी की ये कविता - काश मैं आजाद होता।
उमेश जी के अनुसार - वैसे तो हमारा देश 1947 में आजाद हो गया था। लेकिन आज आजादी के 67 साल बाद भी देश के हालात को देख कर बिल्कुल भी नहीं लगता कि हम आजाद हैं।
देश की बुरे हालातों को अपनी कविता “काश मैं आजाद होता” में उमेश जी देश की ओर से कहते हैं किः

काश मैं आजाद होता
खुले रहते घर के दरवाजे, शीतल मंद पवन लहराती।
मेरी मां, बहन और बेटी, निर्भीक हो कहीं भी जाती।
लूट रेप का डर ना सताता।
काश मैं आजाद होता॥

बेईमानी का कागज और लालच का कलम ना होता।
(तो) अपनी काबिलियत के दम पर, दुनिया में परचम लहराता।
रिश्वत का चारा ना खिलाता।
काश मैं आजाद होता॥

देश में ना कोई दंगा होता।
किसी का ना कोई पंगा होता।
साम्प्रदायिकता खत्म कराता।
काश मैं आजाद होता॥

गैर मुल्क की हिम्मत देखो, रोज है हमको आँख दिखाता।
वोटों की राजनीति में, ध्यान किसी का उधर ना जाता।
अपना कश्मीर मैं अपना बनाता।
काश मैं आजाद होता॥

एक वर्ष में दो-दो बार जो, कन्या पूजन हैं करवाते।
कन्या के जन्म से पहले वो ही, अर्थी उसकी हैं सजवाते।
(कन्या के) भ्रूण हत्या पर (पूर्ण रूप से) रोक लगाता।
काश मैं आजाद होता॥

आजादी की वर्षगांठ पर, नेताजी झंडा फहराते।
कस्में वादे (चाहे) ना करते, पर देश पे अपने प्राण गंवाते।
ऐसे महान देश भक्त पर, कोटि-कोटि निज शीश गंवाता।
काश ........... ! काश मैं आजाद होता॥

“रूप” है मेरा प्यारा पर, भ्रष्टाचार की गर्दिश छाई है।
मेरे ही अपनों ने देखो, मुझमें आग लगाई है।
(काश आज भी) सोने की चिड़िया कहलाता।
काश मैं आजाद होता॥

प्रिय मित्रों, उमेश जी की ये पहली कविता हमने आपके सामने पेश की है। आशा है आपको पसंद आई होगी। शीघ्र ही अन्य कवितायें भी प्रस्तुत करेंगे।
कृपया अपने सुझावों, विचारों से उमेश जी और के. डी. परिवार की हिम्मत बढ़ायें।
और हां, कविता को अपने मित्रों के साथ शेअर करना ना भूलें।

2 comments:

  1. यह कविता बहुत ही अच्छी तरह से सचाई के रूप में तैयार की गई है। देश के हर इंसान को इसकी जानकारी होनी चाहिए कि वह आज क्या है क्यों है। उमेश कुमार जी का धन्यवाद करते हैं।
    It's a true, we are not freedom. Kash hum aajad hote.
    Sir bhejte rha kro ase hi, I need it.thanks a lot you sir.
    LUCKY SHARMA, DHURI, PUNJAB

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  2. Umesh Ji's poem is thought provoking.
    NEENA DAYAL, LUCKNOW, UP

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