Sunday, October 4, 2020
सफलता के चार पुरूषार्थ
अगर आप जीवन में वास्तविक सफलता हासिल करना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा पढ़ें।
आज के इस लेख में मैं आपके लिये एक बहुत ही खास जानकारी लेकर आया हूँ। ये जानकारी आपकी सफलता के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है।
दोस्तों, जैसा कि आप जानते ही होंगे कि मैं पिछले 20 से अधिक वर्षों से नौकरी के साथ-साथ के. डी. परिवार के नाम से अपना एक एन.जी.ओ. भी चला रहा हूँ। के. डी. परिवार सफलता की शिक्षा व ज्ञान को समर्पित एक परिवार है, जो जरूरतमंद लोगों तक जीवनोपयोगी और रोजगार-परक शिक्षा उपलब्ध करवाता है। इस एन.जी.ओ. के माध्यम से हम सफलता सम्बन्धी विषय पर 20 से अधिक वर्षों से अध्ययन और अनुसंधान कर रहे हैं। सफलता सम्बन्धी अपने इस अध्ययन और अनुसंधान को हम ‘‘सफलता का ज्ञान-अनुसंधान यज्ञ’’ कहते हैं।
सफलता के इस ज्ञान-अनुसंधान यज्ञ में हम सफलता सम्बन्धी विषय पर ना केवल अध्ययन करते हैं, बल्कि अध्ययन करने के बाद हम हासिल ज्ञान को जीवन में लागू भी करते हैं और इसे दूसरे लोगों के साथ शेयर भी करते हैं।
हमारे इस सफलता सम्बन्धी ज्ञान-अनुसंधान यज्ञ से अब तक हजारों लोग सफलता-लाभ हासिल कर चुके हैं। अब आपकी बारी है।
आज के इस लेख में आप यह भी जानेंगे कि जीवन में सफलता हासिल करने के लिये आपको किन क्षेत्रों का ध्यान रखना होगा और साथ ही आप यह भी जानेंगे कि इन क्षेत्रों का ध्यान रखने के लिये आपको किस तरह के ज्ञान की आवश्यकता होगी और यह ज्ञान आप किन पुस्तकों अथवा किन स्रोतों से प्राप्त कर सकते हैं। इसलिये आपसे पुनः प्रार्थना है कि इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
तो आईये, बात करते हैं आपकी सफलता के बारे में और सफलता देने वाले चार पुरूषार्थों के बारे में।
सफलता के चार पुरूषार्थ
जो व्यक्ति जीवन में सफल होना चाहते हैं उन्हें अपने जीवन का बहुत ही समझदारी और सावधानी के साथ प्रबन्धन यानि मैनेजमैंट करना होगा।
जीवन के ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जहाँ आपको मैनेजमैंट करना होगा। सफलता सम्बन्धी अपने लगभग 20 से अधिक वर्षों के अध्ययन, शोध और अभ्यास के बाद हमने यह पाया है कि अगर आप अपने जीवन के केवल चार क्षेत्रों को सही ढंग से प्रबन्धित यानि मैनेज कर लेते हैं तो आप सरलता से सफलता हासिल कर सकते हैं। इन्हीं चार क्षेत्रों को हम सफलता के चार पुरूषार्थ कहते हैं।
सफलता हेतू मैनेज करने के लिये ये चार क्षेत्र इस तरह हैं –
o स्व-प्रबन्धन यानि सैल्फ मैनेजमैंट
o धन-प्रबन्धन यानि मनी मैनेजमैंट
o समय-प्रबन्धन यानि टाईम मैनेजमैंट
o जन-प्रबन्धन यानि प्यूपिल मैनेजमैंट
आगे हम विस्तार से इस बात पर चर्चा करेंगे कि क्यों सिर्फ ये चार तरह की मैनेजमैंट ही सफलता के लिये अनिवार्य हैं।
पहले यह समझिये कि इस मैनेजमैंट को हम पुरूषार्थ क्यों कहते हैं।
भारतीय संस्कृति में पुरूषार्थ की अवधारणा भौतिक एवम् आध्यात्मिक जगत के बीच संतुलन स्थापित करती है। पुरूषार्थ के माध्यम से ही मनुष्य के जीवन का सम्पूर्ण विकास हो पाता है।
संस्कृत के इस शब्द पुरूषार्थ का अर्थ है - मानव के उद्देश्य एवम् लक्ष्य का विषय। साधारण शब्दों में कहें तो अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये मानव जो प्रयत्न करता है उसे पुरूषार्थ कहते हैं।
इसका एक और अर्थ भी है। पुरूष का अर्थ है विवेकशील प्राणी तथा अर्थ का मतलब है लक्ष्य। इसलिये पुरूषार्थ का मतलब हुआ - विवेकशील प्राणी का लक्ष्य। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये एक व्यक्ति जिन उपायों को अपनाता है, वे उपाय पुरूषार्थ कहलाते हैं।
आमतौर पर शास्त्रों में चार पुरूषार्थों का जिक्र किया गया है - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष।
इन चार पुरूषार्थों को आप अपनी सफलता रूपी वाहन के चार पहिये मान सकते हैं। आपकी सफलता के वाहन के दो अगले पहिये हैं - धर्म और अर्थ। काम और मोक्ष इस वाहन के दो पिछले पहिये हैं।
आईये, मानव के सम्पूर्ण विकास हेतू इन चारों पुरूषार्थों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।
o प्रथम पुरूषार्थ: धर्म यानि स्व-प्रबन्धन यानि सैल्फ मैनेजमैंट - सैल्फ मैनेजमैंट अर्थात् स्वयं को अच्छी तरह से जानना, अपने गुण-दोषों को समझना और उनके अनुसार कार्य का चुनाव करना। यही धर्म है। शास्त्रों के अनुसार धर्म का भाव है स्वयं के स्वभाव, स्वधर्म और स्वकर्म को जानते हुये कर्तव्यों का पालन करना।
किसी भी मनुष्य का सबसे महत्वपूर्ण कार्य यही है कि वो सबसे पहले स्वयं को अच्छी तरह से जान ले। यह कार्य सफलता की ओर आपका पहला चरण भी है।
स्व-प्रबन्धन अर्थात् सैल्फ मैनेजमैंट में जो विषय आते हैं वो इस प्रकार हैं –
* अपने स्वास्थ्य का प्रबन्धन
* अपने सपनों का प्रबन्धन - आपके जीवन का मकसद क्या है?
* अपने विचारों का प्रबन्धन
* अपनी आदतों का प्रबन्धन
* अपने गुण व दोषों का प्रबन्धन
* अपनी शख्सियत यानि पर्सनैलिटी का प्रबन्धन
* अपने शब्दों का प्रबन्धन
* अपनी आत्मिक शक्ति का प्रबन्धन
* तय करें कि आप आज क्या हैं और भविष्य में क्या बनना चाहते हैं
* जो भी बनना चाहते हैं उसके जैसा व्यवहार आज से ही शुरू कर दें
* स्व-प्रबन्धन हेतू किताबें
• सोचिये और अमीर बनिये - नेपोलियन हिल
• बड़ी सोच का बड़ा जादू - डेविड जे. श्वाटर्ज
• शिखर पर मिलेंगे - जिग जिगलर
• बड़े सपने देखें - बॉब बेहल और पॉल स्वैट्स
• लक्ष्य- ब्रायन ट्रेसी
• चिन्ता छोड़ो सुख से जीओ - डेल कारनेगी
• आपके अवचेतन मन की शक्ति – डॉ. जोसेफ मर्फी
• आपके अवचेतन मन की शक्ति से आगे - सी. जेम्स जैन्सन
• अधिकतम सफलता - ब्रायन ट्रेसी
• मुश्किलें हमेशा हारती हैं - शुलर
• यू इंक. - बर्क हेजेस
• आदर्श स्वास्थ्य क्रान्ति – ड्यूक जॉनसन
• क्या आपका डॉक्टर पोषक तत्वों के बारे में जानता है - रे डी. स्ट्रैंड
• अति प्रभावशाली लोगों की 7 आदतें - स्टीफन कोवी
• सन्यासी जिसने अपनी सम्पत्ति बेच दी – रॉबिन शर्मा
o द्वितीय पुरूषार्थ: अर्थ यानि धन-प्रबन्धन यानि मनी मैनेजमैंट - शास्त्रों के अनुसार अर्थ की परिभाषा है - जिसके द्वारा भौतिक सुख-समृद्धि की सिद्धि होती हो। अर्थ का सम्बन्ध धन से है और धन-प्रबन्धन का मतलब है - अपनी कमाई हुई आमदन को खर्च करने का सही ढंग।
यहाँ आपके लिये कुछ सुझाव हैं जिनसे आप अपने इस द्वितीय पुरूषार्थ को सिद्ध कर सकते हैं यानि अपनी मनी को मैनेज करते हुये सफलता की प्राप्ति कर सकते हैं –
* अर्थ का उपयोग अपने स्वयं के शरीर, मन, परिवार, समाज और राष्ट्र को पुष्ट करने के लिये होना चाहिये।
* अपने खर्चों को नियंत्रित करें
* अपने खर्चों पर निगाह रखें
* अपने खर्चों को लिख कर करना शुरू करें
* अपनी आमदन को प्रबन्धित करें
o सबसे पहले खुद को पैसा दें
o 70-30 के नियम का पालन करें
o 10 प्रतिशत दान के लिये निकालें और इसे तब खर्च करें जब आपको कोई मजबूर मिले। आप इस पैसे को धर्म स्थान में दे सकते हैं। इससे किसी की मदद कर सकते हैं।
o 10 प्रतिशत बचत के लिये निकालें - इसे एक अलग बैंक एकाउंट में रख दें और रख कर भूल जायें।
o 10 प्रतिशत निवेश के लिये निकालें - निवेश का आरम्भ सीखने से करें। इस पैसे को नये हुनर हासिल करने के लिये किताबों और कोर्सेस पर खर्च करें। इसके अलावा थोड़े बहुत शेयर्स खरीदना शुरू करें। इस पैसे से सोना-चाँदी खरीदें। धीरे-धीरे इस पैसे को बड़ा करते हुये ऐसी सम्पत्तियां खरीदनी शुरू करें जो आपकी जेब में पैसा डालें।
o बाकी बचे हुये 70 प्रतिशत को पूरी बेदर्दी से अपने ऊपर खर्च करें।
o अगर आप 30 प्रतिशत अलग नहीं निकाल सकते तो यह सोचें कि अगर किसी माह आपकी आमदन ही कम आयेगी तो आप क्या करेंगे? आप अपना काम छोड़ कर दूसरा काम तलाश करेंगे या आई हुई आमदन में गुजारा करेंगे?
* धन-प्रबन्धन हेतू किताबें
• पैसे की समझ - विपिन सागर (यह पुस्तक मंगवाने के लिए kdparivar@gmail.com पर मेल करें)
• रिच डैड पूअर डैड - रॉबर्ट कियोसाकी
• कैशफ्लो क्वाड्रैंट - रॉबर्ट कियोसाकी
• बिजनेस स्कूल - रॉबर्ट कियोसाकी
• नैट कहानियां - विपिन सागर
• हम आपको अमीर क्यों बनाना चाहते हैं - रॉबर्ट कियोसाकी
• ऑन योअर ऑन कॉर्पोरेशन - रॉबर्ट कियोसाकी (English)
• बिफोर यू क्विट फ्रॉम जॉब - रॉबर्ट कियोसाकी (English)
• रिच डैड’स गाइड टू इन्वेस्टिंग - रॉबर्ट कियोसाकी (English)
• रिटायर यंग रिटायर रिच - रॉबर्ट कियोसाकी
• इफ यू वांट टू बी रिच दैन डोन्ट गो टू स्कूल (English) - रॉबर्ट कियोसाकी
• बी रिच एंड हैप्पी - रॉबर्ट कियोसाकी (English)
• 21वीं सदी का व्यवसाय - रॉबर्ट कियोसाकी
• सीक्रेट्स ऑफ़ द मिलेनियर माईंड - टी. हार्व एकर
• दौलत और ख़ुशी की 7 रणनीतियां - जिम रॉन
• रोमांसिंग द बैलेंस शीट - अनिल लाम्बा (English)
• दौलत के नियम - रिचर्ड टैम्पलर
o तृतीय पुरूषार्थ: काम अर्थात् समय-प्रबन्धन यानि टाईम मैनेजमैंट- वैसे तो शास्त्रों में काम को कामना (इच्छा) कहा गया है। लेकिन सफलता सम्बन्धी अपने अध्ययन में हमने इस ‘काम’ को कार्य यानि वर्क माना है।
आपके द्वारा किये जाने वाले कार्य अगर समयानुसार हों तो आपके लिये सफलता हासिल करना बहुत ही सरल हो सकता है। इसलिये हमने काम का अर्थ लिया है समय-प्रबन्धन।
समय-प्रबन्धन के लिये कुछ सुझाव इस प्रकार हैं –
* समय ही आपका असली धन है
* इसे धन से भी अधिक समझदारी से खर्च करें
* अपने समय का बहुत ही समझदारी से प्रबन्धन करें
* प्रत्येक माह की पहली तारीख या उससे भी पहले अगले माह का शैड्यूल बनायें
* प्रत्येक सप्ताह के पहले दिन यानि सोमवार या उससे पहले दिन यानि रविवार को अगले सप्ताह का शैड्यूल बनायें
* प्रत्येक दिन की शुरूआत में या उससे पिछले दिन के अंत (पिछली रात) में अपने अगले दिन का सुबह से लेकर शाम तक का शैड्यूल बनायें
* दुनिया का हर सफल व्यक्ति अपने समय को समझदारी से इस्तेमाल करता हुआ इसका भरपूर उपयोग करता है यानि वह शैड्यूल बना कर अपने काम करता है
* अगर आप भी सफल होना चाहते हैं तो अपने समय का भरपूर इस्तेमाल करना सीखें
* समय-प्रबन्धन हेतू किताबें
• आपके साथ समय की शक्ति - बिल क्वैन
• कार्य के नियम - रिचर्ड टैम्पलर
• टाईम मैनेजमैंट - सुधीर दीक्षित
• समय का प्रबन्धन - मैशेन मैकडॉनल्ड
• सबसे मुश्किल काम सबसे पहले - ब्रायन ट्रेसी
o चतुर्थ पुरूषार्थ: मोक्ष अर्थात् जन-प्रबन्धन यानि प्यूपिल मैनेजमैंट- मोक्ष का साधारण अर्थ है - मुक्ति। एक व्यक्ति अपने काम और अपनी जिम्मेदारियों से तभी मुक्त हो सकता है जबकि वह अपना काम और जिम्मेदारियों को किसी अन्य को सफलतापूर्वक सौंप दे।
सफलता हासिल करने के लिये एक व्यक्ति को अपनी टीम का निर्माण करना और उस टीम को लीड करना होता है। एक टीम लीडर तभी सफल माना जाता है जब वह खुद फ्री यानि मुक्त रहते हुये अपनी टीम से भरपूर काम ले पाता है।
जन-प्रबन्धन को सिद्ध करने के लिये कुछ सुझाव इस प्रकार हैं –
* लोगों के बिना आप सफलता हासिल नहीं कर सकते
* आप अकेले अच्छा पैसा तो बना सकते हैं लेकिन सफलता हासिल करने के लिये आपको लोगों की टीम की आवश्यकता होगी
* टीम में लोगों का प्रबन्धन करना सीखें
* लोगों के प्रबन्धन की शुरूआत अपने घर से करें
* जन-प्रबन्धन की मेरी सबसे अधिक पसंदीदा परिभाषा यह है - जन-प्रबन्धन का अर्थ होता है लोगों से अपना मनचाहा वो काम खुशी-खुशी करवा लेना जो असल में वो करना ही नहीं चाहते
* इसके लिये आपको सबसे पहले तारीफ करने की आदत डालनी होगी
* आपको लोगों के गुणों व दोषों को पहचानना सीखना होगा
* आपको लोगों के हुनर को पहचान कर उनसे काम लेना सीखना होगा
* लोगों के साथ व्यवहार करते समय आपको यह ध्यान रखना होगा कि वे लीडरशिप के किस स्तर पर हैं - प्राथमिक, मध्यम, या उच्च
* हर स्तर के व्यक्ति को पहचान कर उस व्यक्ति के साथ उसी स्तर के अनुरूप व्यवहार करें
* यह विश्वास रखें कि दुनिया अच्छे लोगों से भरी हुई है
* शिकायत करेंगे तो शिकायत करने का मौका देने वाले लोग ही मिलेंगे, प्रशंसा करेंगे तो प्रशंसा करने का मौका देने वाले लोग ही मिलेंगे
* जानवर भी सच्चे प्रेम, सम्मान और अपनेपन को पहचान लेता है, इसलिये लोगों से सच्चा प्रेम करें, उन्हें सच्चा सम्मान दें और सच्चे अपनेपन से उन्हें अपना बनाये रखें
* जन-प्रबन्धन हेतू किताबें
• लोक व्यवहार - डेल कारनेगी
• ऐसी वाणी बोलिये - पॉल डब्ल्यू. स्वैट्स
• लोकप्रिय बनने की कला - डॉन गैबर
• टीम खिलाड़ी के 17 अनिवार्य गुण - जॉन सी. मैक्सवैल
• कैसे बनें लोक व्यवहार कुशल - लेस गिबलिन
• प्रेम के नियम - रिचर्ड टैम्पलर
• परवरिश के नियम - रिचर्ड टैम्पलर
• संवाद का जादू - टैरी फैल्बर
• बच्चों का विकास कैसे करें - सर श्री
• वन मिनट मैनेजर - कैनेथ ब्लैंचर्ड
• सफल लीडर कैसे बनें - जॉन एच. येगर व जोसेफ फोसमैन
• मैनेजमैंट के नियम - रिचर्ड टैम्पलर
• मैन आर फ्रॉम मार्स वूमैन आर फ्रॉम वीनस - जॉन ग्रे (English)
• प्रेम की पाँच भाषायें - गैरी चैपमैन
• 21वीं सदी का लोक व्यवहार - एलेन पीस, बारबारा पीस
• लोगों को सर्वश्रेष्ठ कैसे बनायें - एलेन लॉय मैक्गनीस
• मिलकर काम करने के 17 कारगर नियम - जॉन सी. मैक्सवैल
• पारिवारिक सफलता के सूत्र - रॉबिन शर्मा
• ऑफिस में बॉडी लैंग्वेज - एलेन व बारबारी पीस
• अपनी टीम के लीडर्स को विकसित कैसे करें - जॉन सी. मैक्सवेल
• आप भी लीडर बन सकते हैं - डेल कारनेगी
• लीडर के 21 अनिवार्य गुण - जॉन सी. मैक्सवेल
• व्यवहार कुशलता - लेस गिबलिन
• लोक व्यवहार में कुशलता - लेस गिबलिन (English)
इस लेख में जिन किताबों का जिक्र किया गया है, वो केवल वही किताबें हैं, जिनका लेखक ने स्वयं अध्ययन किया हुआ है। इन किताबों से लेखक सहित लाखों लोग लाभ उठा चुके हैं, अब आपकी बारी है। अपनी ज़रूरत और पसंद के अनुसार कोई भी किताब चुनें और अपनी सफलता की यात्रा पर तेज़ी से आगे बढ़ चलें। किताब के नाम पर क्लिक करके आप उस किताब को आकर्षक छूट के साथ डिस्काउंटेड रेट पर घर बैठे (ऑन लाइन) खरीद सकते हैं।
अगर आप इन उपरोक्त चारों क्षेत्रों - स्व-प्रबन्धन, धन-प्रबन्धन, समय-प्रबन्धन तथा जन-प्रबन्धन, में उचित प्रबन्धन कर लेते हैं तो आप सरलता से सफलता हासिल कर सकते हैं।
इस सम्बन्ध में इस बात का ध्यान रखें कि जैसा पहले भी कहा गया कि ये चार पुरूषार्थ आपके सफलता रूपी वाहन के चार पहिये हैं। जिस प्रकार एक वाहन के समुचित चालन हेतू चारों पहियों का उत्तम होना अनिवार्य है उसी प्रकार आपकी सफलता हेतू भी इन चारों क्षेत्रों का प्रबन्धन अनिवार्य है।
अगर किसी वाहन के चारों पहियों में से कोई एक पहिया भी ठीक नहीं होगा, यानि उसमें हवा कम होगी या वो खराब होगा तो आपका वाहन या तो चलेगा ही नहीं या फिर वो खराब ढंग से चलेगा। वाहन के चारों पहिये सही होंगे तभी आपका वाहन सही ढंग से और आवश्यक गति से चल पायेगा।
इसी प्रकार सफलता हासिल करने के लिये भी ये चारों क्षेत्र सही ढंग से मैनेज होने चाहियें। इनमें से यदि कोई एक क्षेत्र भी खराब होगा तो या तो आप अपनी सफलता की यात्रा आरम्भ ही नहीं कर पायेंगे या आपकी यात्रा को सही गति नहीं मिलेगी।
इसलिये अगर आप सफलता हासिल करना चाहते हैं तो अपने जीवन के इन चार महत्वपूर्ण क्षेत्रों को मैनेज करने का अभ्यास शुरू कर दें।
अंत में एक और महत्वपूर्ण बात।
पुरूषार्थ का एक भाव यह भी है कि इसे साधना पड़ता है। यह अपने आप नहीं होता। इसी तरह जीवन में सफलता हासिल करने के लिये यहाँ बताये गये चारों क्षेत्रों को आपको खुद मैनेज करना ही होगा। ये अपने आप मैनेज नहीं होते। बल्कि अगर आपने इन पर या इनमें से किसी एक पर ध्यान नहीं दिया तो ये आपके जीवन को व्यर्थ कर सकते हैं।
अगर आप इन चारों क्षेत्रों को मैनेज करने के लिये और भी जानकारी चाहते हैं या इनके सम्बन्ध में ट्रेनिंग हासिल करना चाहते हैं तो kdparivar@gmail.com पर अभी मेल भेजें।
हमें पूरी उम्मीद है कि आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा। अगर आपको ये लेख पसंद आया है तो इस पर कमेंट करें और इसे लोगों के साथ शेयर करें।
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लेख को पूरा पढ़ने के लिये धन्यवाद।
जल्द ही, आपके सामने सफलता सम्बन्धी ऐसे अन्य लेख भी प्रस्तुत करेंगे, तब तक के लिये नमस्कार, ओम नारायण।
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