Friday, December 19, 2014

माता-पिता पर एक बेहतरीन रचना - द्वारा - परम पूज्य राष्ट्र संत श्री मोरारी बापू जी



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जिसकी कोख से जन्म होता : वह माँ
जिसके पेट पर खेलने में मजा आता:वह पिता

जो धारण करती : वह माँ
जो सिंचन करता : वह पिता !

जो गोद में लेकर सहलाती : वह माँ
जो हाथों में धरकर ऊंचा उठाता:वह पिता!

जो उंगली पकड़कर चलना सिखाती:वह माँ
जो कंधों पर लेकर दौड़ना सिखाता:वह पिता

जो डूब-डूब गगरी करती: वह माँ
जो हर-हर गंगे करता : वह पिता !

जो आँचल तले दबाती: वह माँ
जो पिंजड़े से बाहर निकालता :वह पिता!

जो व्याकुल होती : वह माँ
जो संयम सिखाता : वह पिता !

जो आशीर्वचन जैसी: वह माँ
जो नमस्कार तुल्य : वह पिता !

जिसके सिवा जीवन नहीं : वह माँ
जिसके सिवा भविष्य नहीं: वह पिता !!
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प्रेषक - हितेश जोशी जी

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